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NewsModel
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NewsDate
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9/20/2025 9:06:00 AM
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Place
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Jind
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Source
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youtube
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Grade
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a
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Main_Topic
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मुख्य मुद्दा: जींद में हजारों किसान ट्रैक्टरों के साथ लघु सचिवालय पहुंचे और आईएमटी परियोजना का जमकर विरोध किया। किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनकी उपजाऊ जमीन जबरन पोर्टल पर चढ़ा दी है और उनकी सहमति के बिना अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। किसानों ने 15 दिन का अल्टीमेटम देकर चेताया कि जमीन नहीं देंगे, चाहे कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।
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Incident
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घटनाक्रम: 12 गांवों के किसान हजारों की संख्या में ट्रैक्टरों के साथ जींद लघु सचिवालय पहुंचे। किसानों ने डीसी से सीधे मिलने की मांग की लेकिन डीसी मिलने नहीं आए। किसानों ने कहा – “90% जमीन पोर्टल पर गलत तरीके से चढ़ा दी गई है।” किसानों की दो मुख्य मांगें: (1) फर्जी पोर्टल चढ़ाने वालों पर मुकदमा, (2) जमीन अधिग्रहण रोकना। किसानों ने चेताया – उपजाऊ जमीन किसी कीमत पर नहीं देंगे, फैक्ट्री बंजर भूमि पर लगाई जाए। प्रशासन को 15 दिन का अल्टीमेटम, इसके बाद बड़ा आंदोलन करने की घोषणा।
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Background
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मुद्दे का पूर्व विवरण: हरियाणा में पहले भी भूमि अधिग्रहण को लेकर बड़े किसान आंदोलन हुए हैं। ताऊ देवीलाल और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के कार्यकाल में किसान हितैषी नीतियां बनी थीं—जैसे कि उचित मुआवज़ा, कर्ज माफी, रोजगार गारंटी और उपजाऊ जमीन की सुरक्षा। वर्तमान में किसानों का आरोप है कि भाजपा सरकार उन्हीं उपजाऊ जमीनों को जबरन हड़पकर उद्योगपतियों को सौंपना चाहती है।
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AffectedClasses
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प्रभावित वर्ग: जींद जिले के किसान (12 गांवों के सीधे प्रभावित किसान) ग्रामीण परिवार (खासकर वे जिनकी पूरी आजीविका खेती पर आधारित है) स्थानीय पंचायतें और सरपंच भविष्य की पीढ़ी (खेती योग्य जमीन की सुरक्षा का सवाल)
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Strategy
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रणनीति एवं संगठनात्मक कार्य योजना: 24 घंटे – गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद; पंचायतों के समर्थन पत्र जुटाना। 2 दिन – जिला स्तर पर जनसभा, मीडिया कवरेज बढ़ाना। 3–5 दिन – प्रदेश भर में किसान पंचायतें बुलाना; आंदोलन को राज्यव्यापी बनाना। सभी किसान संगठनों और युवाओं को एक मंच पर लाना। सोशल मीडिया पर “उपजाऊ जमीन बचाओ” अभियान शुरू करना। दिल्ली तक आंदोलन ले जाने की तैयारी करना।
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Strategy1
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Strategy2
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Strategy3
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Strategy4
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Question_To_Govt
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सरकार से सवाल: किसानों की सहमति लिए बिना जमीन पोर्टल पर कैसे चढ़ाई गई? किसानों से सीधे संवाद करने से प्रशासन क्यों बच रहा है? जब बंजर जमीन उपलब्ध है तो उपजाऊ जमीन क्यों छीनी जा रही है? फर्जी साइन करने वालों पर कब मुकदमा दर्ज होगा? क्या सरकार औद्योगिकरण के नाम पर हरियाणा की खेती को खत्म करना चाहती है?
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Question_To_Govt1
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Social_Media
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सोशल मीडिया हैशटैग: फेसबुक: #JindKisanAndolan #ZameenBachao #KisanKiAawaz ट्विटर: #NoLandGrab #SaveFertileLand #IMTProtestJind इंस्टाग्राम: #FarmerUnity #StopLandLoot #JindProtest
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Press_Release
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प्रेस रिलीज़ (200 शब्द): हरियाणा की भाजपा सरकार किसानों की उपजाऊ जमीन को जबरदस्ती उद्योगपतियों के हवाले करना चाहती है। जींद के 12 गांवों के किसान, जिनकी 35,000 एकड़ उपजाऊ भूमि है, ने साफ कह दिया है कि वे अपनी मातृभूमि किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। किसानों का आरोप है कि 90% जमीन फर्जी तरीके से पोर्टल पर चढ़ाई गई है। बिना किसानों से पूछे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अधिग्रहण की साजिश की जा रही है। यह सरकार किसानों की पीठ में छुरा घोंप रही है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि 15 दिन में सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं—फर्जी पोर्टल चढ़ाने वालों पर मुकदमा दर्ज नहीं किया और अधिग्रहण प्रक्रिया वापस नहीं ली—तो आंदोलन को और बड़ा किया जाएगा। यह वही हरियाणा है जहां चौधरी देवीलाल और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने किसानों की जमीन की रक्षा की, कर्ज माफी और रोजगार योजनाएं दीं। लेकिन मौजूदा सरकार किसानों को उजाड़कर उद्योगपतियों के लिए रास्ता बना रही है। यह अन्याय अब बर्दाश्त नहीं होगा। किसान अपनी जमीन की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।
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Video_Advice
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ग्राफिक्स / वीडियो सुझाव: हजारों किसानों की ट्रैक्टर रैली की तस्वीरें। “उपजाऊ जमीन बनाम बंजर भूमि” का तुलना ग्राफिक। किसानों के अल्टीमेटम (15 दिन) का विजुअल काउंटडाउन।
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Press_Conference
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ग्राउंड इवेंट / प्रेस कॉन्फ्रेंस: स्थान: जींद लघु सचिवालय के बाहर तारीख: 22 सितम्बर 2025 वक्ता: किसान प्रतिनिधि, पार्टी के वरिष्ठ नेता उद्देश्य: सरकार पर दबाव बनाना, मीडिया और जनता को स्पष्ट संदेश देना।
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जनसभा में कहने योग्य लाइन: “उपजाऊ जमीन नहीं देंगे – चाहे जान भी कुर्बान करनी पड़े।”
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प्रेस/जनसभा में सरकार से सवाल: क्या सरकार किसानों की जमीन उद्योगपतियों को सौंपने के लिए मजबूर है? बिना किसानों की सहमति अधिग्रहण क्यों? 90% जमीन फर्जी पोर्टल पर कैसे चढ़ाई गई? जब बंजर जमीन उपलब्ध है तो उपजाऊ खेत क्यों छीने जा रहे हैं?
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