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NewsDate
9/21/2025 10:41:00 AM
Place
Kaithal
Source
news
Grade
a
Main_Topic
मुख्य मुद्दा: कैथल महिला थाना में पिछले 8 महीनों में 797 शिकायतें दर्ज हुईं, लेकिन सिर्फ 42 मुकदमे दर्ज किए गए। अधिकांश मामलों को समझौते में निपटा दिया गया। घरेलू हिंसा और महिलाओं से जुड़े गंभीर मामलों में भी कार्रवाई की बजाय समझौते पर जोर दिया गया, जिससे महिलाओं में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।
Incident
घटनाक्रम: जनवरी से अगस्त 2025 तक 797 शिकायतें आईं। इनमें से सिर्फ 42 केस दर्ज हुए, बाकी समझौते में निपटा दिए गए। अधिकतर मामले घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना और उत्पीड़न से जुड़े थे। गैस के पैसे मांगने पर दुष्कर्म का मामला भी सामने आया। आधार कार्ड और डेथ सर्टिफिकेट के लिए भी झूठी शिकायतें दर्ज हुईं। युवती ने युवक पर सड़क से उठाकर ले जाने और दुष्कर्म का आरोप लगाया। महिला थाना प्रभारी ने माना कि घरेलू हिंसा के मामले सबसे ज्यादा हैं।
Background
मुद्दे का पूर्व विवरण: हरियाणा में महिलाओं से जुड़े अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। लेकिन पुलिस पर अक्सर आरोप लगता है कि वह शिकायतों को गंभीरता से लेने की बजाय समझौते का दबाव डालती है, जिससे पीड़िताओं को न्याय नहीं मिलता।
AffectedClasses
प्रभावित वर्ग: घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाएं। दहेज प्रताड़ना और उत्पीड़न से जूझ रही महिलाएं। कैथल शहर की महिलाएं और बच्चियां। न्याय की उम्मीद लेकर आने वाले परिवार।
Strategy
रणनीति एवं संगठनात्मक कार्य योजना: 24 घंटे – महिला कार्यकर्ता थाने का दौरा कर आंकड़ों की सच्चाई की जांच करें। 2 दिन – पीड़ित महिलाओं और परिवारों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं दर्ज करें। 3-5 दिन – प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महिला थाना की कार्यशैली पर सवाल उठाएं और राज्य सरकार पर दबाव डालें। महिला पंचायतें और जागरूकता बैठकें आयोजित की जाएं। सोशल मीडिया पर “महिलाओं को न्याय दो” अभियान चलाया जाए। यदि कार्रवाई न हुई तो महिला मोर्चा द्वारा धरना-प्रदर्शन किया जाए।
Strategy1
Strategy2
Strategy3
Strategy4
Question_To_Govt
सरकार से सवाल: 797 शिकायतों में से सिर्फ 42 केस क्यों दर्ज हुए? गंभीर मामलों को समझौते में क्यों निपटाया गया? क्या महिला थाना का काम समझौता कराना है या न्याय दिलाना? घरेलू हिंसा पीड़िताओं को सुरक्षा और न्याय कब मिलेगा? क्या सरकार महिला सुरक्षा को लेकर असफल हो चुकी है?
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Social_Media
सोशल मीडिया हैशटैग: फेसबुक: #MahilaSuraksha #KaithalWomenCrisis #JusticeForWomen ट्विटर: #महिला_सुरक्षा #कैथल #न्याय_की_लड़ाई इंस्टाग्राम: #WomenSafety #KaithalIssues #JusticeNow
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Press_Release
प्रेस रिलीज़ कैथल महिला थाना में 8 महीनों में 797 शिकायतें आईं, लेकिन सिर्फ 42 मुकदमे दर्ज करना सरकार और पुलिस प्रशासन की लापरवाही का सबूत है। जिन मामलों में महिलाओं को तुरंत सुरक्षा और न्याय मिलना चाहिए था, उन्हें समझौते में निपटा दिया गया। यह महिलाओं के साथ दोहरा अन्याय है। महिला सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है। घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना और उत्पीड़न की शिकार महिलाएं न्याय की उम्मीद लेकर थाने जाती हैं, लेकिन वहां भी उन्हें निराशा मिलती है। मैं सरकार से साफ कहना चाहता हूं कि महिलाओं के मुद्दों पर यह ढिलाई अब और बर्दाश्त नहीं होगी। महिला थानों को न्याय देने का केंद्र बनाया जाए, न कि समझौते का। यदि सरकार ने तुरंत कदम नहीं उठाए तो पार्टी महिलाओं के साथ सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेगी।
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Video_Advice
ग्राफिक्स / वीडियो सुझाव: महिला थाना भवन और बाहर खड़ी महिलाएं। प्रभावित महिलाओं की गवाही के छोटे वीडियो क्लिप। “797 शिकायतें बनाम 42 केस” का चार्ट ग्राफिक।
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Press_Conference
ग्राउंड इवेंट / प्रेस कॉन्फ्रेंस: स्थान: कैथल लघु सचिवालय तारीख: 24 सितम्बर 2025 वक्ता: महिला प्रकोष्ठ की नेता, स्थानीय पीड़ित महिलाएं, अभय सिंह चौटाला उद्देश्य: महिला सुरक्षा और न्याय की मांग को सरकार तक मजबूती से पहुंचाना।
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Public_Meetings
जनसभा में कहने योग्य लाइन: “महिला सुरक्षा सिर्फ भाषणों से नहीं, कार्रवाई से होगी—797 शिकायतें और सिर्फ 42 केस सरकार की असली तस्वीर दिखाते हैं।”
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Question_In_Assembly
प्रेस/ जनसभा में सरकार से सवाल: 797 शिकायतों को क्यों दबाया गया? क्या महिला थाने का काम पीड़िताओं को घर वापस भेजना है? गंभीर मामलों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? सरकार महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ प्रचार कर रही है क्या? महिलाएं न्याय की उम्मीद किससे करें—सरकार से या खुद से?
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